tulsi : रविवार के दिन तुलसी कि पत्तियां क्यों नहीं तोड़ते है ? माँ सीता से क्या है सम्बन्ध ?

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आम तौर पर सभी जानते हैं की,रविवार के दिन तुलसी पत्र नहीं तोड़ना चाहिए.लेकिन रविवार के दिन tulsi क्यों नहीं तोड़ना चाहिए ? तथा माँ सीता से क्या है इसका सम्बन्ध है ? इस तरह के जानकारी के लिए जुड़े रहें astroall के साथ जुड़े रहें.

किसी भी कार्य के होने या करने के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है.इसी प्रकार रविवार के दिन तुलसी न तोड़ने के भी कारण हैं.बात उस समय कि है जब भगवान श्रीराम मिथला में आकर धनुष भंग किये थे. जब महर्षि विश्वामित्र के आदेश पर पुरुषोत्तम श्रीराम ने धनुष भंग कर दिया.

tulsi-ke-patte से माँ सीता से क्या है सम्बन्ध ? 

धनुष भंग के बाद माँ जानकी ने श्रीराम का वरन किया.और फिर उसके बाद जब यह कार्यक्रम संपन्न हुआ.तब गुरु विश्वामित्र ने,भगवान् श्रीराम को बोला की राम,तुम जानकी से कहो कि, जनक जी के बाग़ से पुष्प और तुलसी लेकर आवें.मै शालिग्राम भगवान् का पूजन करूंगा.

तो श्रीराम के आदेशानुशार माँ जानकी अपने बाग़ से पुष्प और तुलसी लेने जाती है.और उस रोज रविवार का दिन था.जब माँ जानकी अपने पिता के बाग़ से,पुष्प और तुलसी  लेने जाती हैं.

इसी बिच तेज आंधी के कारण माँ जानकी का पल्लू हवा के कारण उड़कर तुलसी के पेड़ ( tulsi Plant ) पर जा गिरता है.जिससे tulsi की कुछ पतियाँ टूटकर निचे गिर जाता है.मां जानकी तुलसी की पतियों को लेकर गईं.और श्रीराम जी के हाथों में दी.

फिर भगवान् श्रीराम ने उस पुष्प और tulsi को गुरुदेव विस्वमित्र को सौंप दिया.लेकिन जब महर्षि पूजा के लिए गए तब,उस तुलसी से जल का स्राव होने लगा.तो उन्होंने पूछा की एसा क्यों ? तब तुलसी द्वरा बताया गया की,जानकी के पल्लू से कुछ पत्तियां जमींन पर गिर गई.

रविवार के दिन तुलसी कि पत्तियां क्यों नहीं तोड़ते है ? 

वो पत्तियां भी तो भगवान् शालिग्राम तक पहुँच सकती थी.लेकिन जानकी के कारण वह पहुँच नहीं सकी.यही सोंचकर मेरे आँखों से आंसू बह रहे हैं.तब इस पर महर्षि विश्वामित्र ने बोला.की यह बात है तो आज जानकी के द्वारा लाये गये tulsi से मई पूजा नहीं करूंगा.

तब से यह मान्यता है की किसी भी रविवार के दिन तुलसी का पत्र नहीं तोरा जाए.इसीलिए रविवार के दिन tulsi पत्र तोडना वर्जित है.

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