mangal grah : क्या आप भी मंगल ग्रह से परेशान हैं ? आप भी करें यह अचूक उपाय

Date:

Share post:

यदि किसी भी जातक के कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो जातक को बहुत सारे समस्याओं का सामना करना परता है.तो यदि आपके जीवन में भी इस तरह की समस्या है तो astroaall के साथ जुड़े रहें.

mangal grah के प्रभाव  से सुख 

यदि mangal grah अपनी उच्च राशि,मूल त्रिकोण राशि,स्वराशि (मेष या वृश्चिक)या मित्र राशि का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो अपनी दशा में जातक को  शुभ फल प्रदान करता है.एसे मंगल की दशा में जातक स्त्री एवं संतान का पूर्ण सुख प्राप्त करता है.

भूमि सम्बंधित कार्यों से उसे विशेष लाभ मिलता है.भूमि क्रय करने,आवास बनाकर विक्रय करने अथवा आवास योग्य भूमि के क्रय-विक्रय से या भूमिगत धन मिलने से जातक अत्यंत सुख प्राप्त करता है.l

mangal grah से क्या-क्या लाभ होता है ? 

समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है.तथा जातक अपने समाज को दिशा निर्देश देने की क्षमता पा लेता है.आपके अवांछित साधन भी हो सकते हैं.यह सही है की मंगल की सुभ दशा जातक को धनार्जन कराता है.

भले ही वह किसी रीती से हो लेकिन,यह भी सही है की एसा आप सुभ अथवा मंगल कार्य में व्यस्त नहीं होती.बुद्धि का विकाश तो होता है लेकी जातक बौधिक कार्यों के अपेक्षा बाल युक्त एवं प्रकर्म की वृद्धि होती है.तथा वह युद्ध कार्य में प्रवीन होता है तो अति स्योक्ति नहीं होगी.

mangal grah से राजकीय लाभ 

जातक सेना अथवा पुलिस में कर्मचारी हो तो,इन दोनों में पदोन्नति पा लेता है.मान-सम्मान में वृद्धि होती है तथा,राजकीय सम्मान पाकर कृति अर्जित कर लेता है.बंधू-बांधवों से भी उसे सहयोग एवं सुख प्राप्त होता है.

यदि मंगल उच्च राशि का होकर धन अथवा आय स्थान में हो तो जातक को मानसिक शांति प्राप्त होती है.प्रवास पर जाने से अच्छा लाभ होता है.उच्च नवांस गत मंगल भले ही कुंडली में नीच का हो तो भी अपनी दशा में प्रकार्म से द्रव्य लाभ एवं शत्रु पर विजय प्राप्त करा देता है.

mangal grah के कारण शत्रु का प्रभाव 

यदि मंगल अपनी नीच राशि में शत्रु क्षेत्र में हो तो,असुभ स्थानस्थ हो या पाप ग्रह के प्रभाव में ह्यो तो अपनी दशा में अशुभ फल ही प्रदान करता है.एसे स्थिति में जातक का परिजनों से मनोमालिन्य बढ़ता है.

बंधू वर्ग से सम्पति के बटवारे को लेकर विरोध बढ़ता है.एसे में न्यायलय जाने की संभावना बढ़ जाती है.जातक को इस काल में चोरो एवं शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए.क्योंकि इनके द्वारा उसे आर्थिक हानि एवं दैहिक कष्ट मिल सकती है.

mangal grah से क्या-क्या हानि होता है ? 

यदि मंगल नीच राशि में होकर वक्री हो,अस्त या उच्च राशी का होकर नीच नवांस में हो,भावस्थ हो,पाप महत्त्व में हो तो,अपनी दशा में जातक को अनेक प्रकार से प्रताड़ित होना पड़ता है.

जातक पिट प्रकोप,रक्त सम्बंधित रोग,ज्वर रक्तातिसार,मिर्गी,मुच्चा,लकवा आदि रोगों से पीड़ित होता है.नित्य नइ-नइ परेशानियों का सामना करना परता है.बंधू-बांधवों से उसका झगरा होता है.अथवा किसी सहोदर के मृत्यु से संताप पहुँचता है.

mangal grah और पति-पत्नी का सम्बन्ध 

पत्नी से विरोध के कारण घर में भी कलह का वातावरण बनता है.शत्रु प्रवाह रहता है.तथा अनेक कारणों से शस्त्राघात का भय बनता है.अग्नि काण्ड से आर्थिक हानि होती है. अति अशुभ मंगल की दशा में स्वयं के आग में जलने का भय रहता है.

क्रोध के कारण शारीर में चकते निकलने लगते हैं.दृष्टि मंद पर जाती है.गले तथा छाती में जलन का अनुभव होता है.प्यास अधिक लगती है.

कुटुंब परिवार मज़बूरी में बिलग होना परता है.जातक का अधिक समय और धन शत्रुओं और रोंगों से संघर्ष करनें में लगता है.ऋण लेना परता है,तथा ऋण भार दिदोदीन बढ़ता रहता है.अधार्मिक विचार बढ़ने से जातक अपने हितैसियों को ही अपना शत्रु मां लेते हैं.जिनके कारण राजकीय दंड मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

Gomed : बदल देगा भाग्य यह चमत्कारी रत्न ! रंक को बना देता है राजा ……

Disclaimer : यहाँ मुहैया सुचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है यह बताना आवश्यक है की Astroall.in  किसी भी तरह की मान्यता की पुष्टि नहीं करता है, इसके समुचित जानकारी के लिए सम्बंधित विशेषज्ञसे सलाह अवश्य लें |

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Related articles