putra prapti upay : पुत्र प्राप्ति का अचूक उपाय,कई बेटियों के बाद भी नहीं हो रहा है बेटा ?

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putra prapti upay : प्रत्येक मनुष्य के जीवन में एक बहुत बड़ी ख़ुशी तब मिलती है.जब उन्हें रत्न प्राप्त होता है.जिसे पुत्र रत्न कहते हैं.धर्म शास्त्र के अनुसार पुत्र एक रत्न है.जिसे पूरे जिंदगी और,जिन्दागी  के बाद भी उत्तम फलदायी माना गया है.

कहते हैं की यदि पुत्र मुखाग्नि न दे तो,उसके आत्मा को कभी भी शांति नहीं मिलती है.परन्तु इस भू लोक पर एसे कितने लोग हैं जो पुत्र रत्न के प्राप्ति से वंचित हैं.और इसके वजह से उनका जीवन बहुत कठिन और तनावपूर्ण व्यतीत हो रहा है.

तो जिस किसी भी जातक को कई पुत्री प्राप्त हो चुके हैं,लेकिन कोई भी पुत्र रत्न प्राप्त नहीं हुआ हो.तो एसे जातक को astroall.in से putra prapti upay  प्राप्त करना चाहिए.

पुत्र प्राप्ति के लिए किन देवता की पूजा करनी चाहिए ?

जहाँ तक हम सभी जानते हैं की,माँ अपने बच्चो को कभी भी उदास/दुखी देखना पसंद नहीं करती है.तो एसे जातक जिन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए भगवती दुर्गा की अर्चना करनी चाहिए.putra prapti upay के लिए कुछ नियम इस प्रकार है-

putra prapti upay के अनुसार भगवती दुर्गा की पूजा कैसे करें ?

रूपं देहि यशो देहि भगं भगं भगवति देहि में |

पुत्रान् देहि श्रियं देहि सर्वान कामांश्च देहि में ||

अर्थात : हे भगवती ! आप मुझे रूप,यश और एश्वर्य प्रदान करें.हे देवि ! आप मेरे लिए पुत्र प्रदान करें. लक्ष्मी दें.और मेरी सभी कामनाओं को परिपूर्ण करें. पुत्र प्राप्ति में यह मंत्र बहुत सहायक होता है.

पुत्र प्राप्ति के लिए दुर्गा मंत्र का प्रयोग कैसे करें ?

putra prapti upay करने वाली स्त्री को दूर्वा और सरसों के पुष्पों द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए. भगवती दुर्गा की अर्चना करनी चाहिए. फिर स्वस्ति वाचन एवं पूजन कराने के बाद,पति/पत्नी को या पंडित जी द्वारा नवरात्री में सुभ मुहूर्त में. प्रारंभ करके संकल्प पूर्वक कम से कम सवा लाख की संख्या में.जप करवाना चाहिए.

ततोप्रांत मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करना चाहिए.यह मंत्र जाप भगवती दुर्गा के सामने putra prapti की कामना करते हुए.कुशासन या पिले कम्बल के आसन पर उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके करना चाहिए.मंत्र जप करने से पहले,आचमनादी एवं पवित्रीकरण मन्त्र पढना चाहिए.

फिर स्वस्तिवाचन एवं गनेशाम्बिका का पूजन भी पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पुत्र प्राप्ति की कामना रखते हुए करना चाहिए.फिर मंत्र का जाप करना चाहिए.

जब संकल्प के अनुसार मंत्र पूरा हो जाने पर दशमांश हवन,उसका दशमांश तर्पण,तथा उसका दशांश संख्या में मार्जन कराना चाहिए.एसा करने से putra prapti की इच्छा पूर्ण होती है.

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